May 6, 2011


Teri zulfon ki ghataaon main giriftaar hua,
Kab kahaan kaise na jaane yun dil ko pyaar hua.

Deen duniyaa ki mujhe jaise khabar hi naa rahi,
Meraa imaan maehz tera intezaar hua.

Koi mousam ho, samaan ho, ya fizayen ho,
Teraa deedar hi ab mere liye bahaar hua.

Kanp_kapee zism main tere hai mere chhoone se,
Meri rag rag main toofaan baar baar hua.


Mere kaandhe pe tikaa thak ke tera sar aise,
Ek khaamosh muhabbat ka iqraar hua.

Leke maasoom tera cheharaa apane haathon main
Mujh ko rehmat e khudaai pe etbaar hua.
Teri sahamee hui aankhaon main khushi ke aansoo,
Har dabii hasarat e rooh ka teraa izahaar hua.
Aake baitho mere sirhaane tum
Aur socho na kuchh bahaane tum.

Chhu ke dekhoon to maanun main,
Sach ho ya khwaab ho na jaane tum.

Aaj bhi main to hoon fida tum par,
Ho mere ab bhi kya diwaane tum.

Meri nazaron main daal kar nazaren,
Khud hi padhalo na sab fasaane tum.

Koi taqaraar ab nai socho,
Phir na shikave karo puraane tum.

Jee main aataa hai rooth jaaun main,
Hans ke mujhako lago manaane tum.

Mere seene pe sar rakho apanaa,
Yun raho naa bane begaane tum.

उलटी सीधी बातें करते हो
अपने आपको हीरो समझते हो
सोचते हो,
बोलने से सबकुछ हो जाता है
आजकी की नारी को समझो
उसकी ज़रूरत और मुश्किलों को समझो
रोटी कपडा और मकान
ये तो ज़रूरी, पर ये तो छोटी सीमाऐं हैं
कुछ समझने की कोशिश करो
मानसिक और भावुक ज़रूरतों को
और पूरी स्वतंन्तृता भी
आजकी नारी की ज़रूरत है
दिनभर बाहर काम करे
फिर घरका सारा कामकाज़
ऊपर से बच्चों की परवरिश
और ढेरसारी परेशानियां है
तुम्हें कैसे पता लगे
कामसे आके सोफे पर पडजाते हो
मुई ये बीयर भी पीने लगे हो
अब बताऔ, औरत को आज़ादी कहां है
तुम चाहते हो कि मैं बापिस आऊं
तो टीवी देखना छोडदो
घरके काम में बरावर का हाथ बटाओ
इसमें कुछ हदतक औरत की आज़ादी है

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है - Harivansh Rai Bachchan



कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था
स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरम
प्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती नव घनों में चंचला सम
वह अगर टूटा मिलाकर हाथ की दोनों हथेली
एक निर्मल स्रोत से तृष्णा बुझाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुसकराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा
वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा
एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर
भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा
अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही
ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे साथी कि चुंबक लौह-से जो पास आए
पास क्या आए, हृदय के बीच ही गोया समाए
दिन कटे ऐसे कि कोई तार वीणा के मिलाकर
एक मीठा और प्यारा ज़िन्दगी का गीत गाए
वे गए तो सोचकर यह लौटने वाले नहीं वे
खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले
डरे क्यों मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर
वो खून जो चश्म-ऐ-तर से उम्र भर यूं दम-ब-दम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
भ्रम खुल जाये जालीम तेरे कामत कि दराजी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुरपेच-ओ-खम का पेच-ओ-खम निकले
मगर लिखवाये कोई उसको खत तो हमसे लिखवाये
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर कलम निकले
हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा-आशामी
फिर आया वो जमाना जो जहाँ से जाम-ए-जम निकले
हुई जिनसे तव्वको खस्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी ज्यादा खस्ता-ए-तेग-ए-सितम निकले
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
जरा कर जोर सिने पर कि तीर-ऐ-पुरसितम निकले
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले
खुदा के बासते पर्दा ना काबे से उठा जालिम
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफिर सनम निकले
कहाँ मयखाने का दरवाजा 'गालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं, कल वो जाता था के हम निकले
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चश्म-ऐ-तर - wet eyes
खुल्द - Paradise
कूचे - street
कामत - stature
दराजी - length
तुर्रा - ornamental tassel worn in the turban
पेच-ओ-खम - curls in the hair
मनसूब - association
बादा-आशामी - having to do with drinks
तव्वको - expectation
खस्तगी - injury
खस्ता - broken/sick/injured
तेग - sword
सितम - cruelity
क़ाबे - House Of Allah In Mecca
वाइज़ - preacher
कौन सा गुनाह कैसा गुनाह!

किसी से ज़िंदगी भर स्नेह रखने का.. ..और जब वो स्नेह अप्नी पराकास्था पर पहुचने लगे तो उसका त्याग करने का ..

हैं न अजीब बात!

पर यही तो किया चंदर ने अपनी सुधा के साथ

इस भुलावे में की दुनिया प्यार की ऐसी पवित्रता के गीत जायेगी

प्यार भी कैसा ...

सुधा घर भर में अल्हड़ पुरवाई की तेरह तोड़ फोड़ मचने वाली सुधा , चंदर की आँख के एक इशारे से सुबह की नसीम की तेरह शांत हो जाती थी . .

कब और क्यूँ उसने चंदर के इशारों का यह मौन अनुशाशन स्वीकार कार लिया था , ये उसे खुद भी मालूम नाहीं था और ये सब इतने स्वाभाविक ढंग से इतना अपने आप होता गया की कोई इस प्रक्रिया से वाकिफ नाहीं था …


दोनों का एक दुसरे के प्रति अधिकार और आकर्षण इतना स्वाभाविक था जैसे शरद की पवित्रता या सुबह की रौशनी .

और अपनी इस सुधा को न चाहते हुए भी उसने उस राह में झोंक दिया जिस पर वो कभी नाहीं चलना चाहती थी. सुधा तो चुप चाप दुखी मन से ही सही उस राह पे चल पड़ी .

और चंदर…..

क्या चंदर का बलिदान उसे देवता बना पाया ?

जो समाज के सामने अपने प्यार को एक आदर्श एक मिसाल साबित करना चाहता था , वो अपने खुद के अंतर्मन से न जीत सका . और जब अपने आप को खुद से हारता पाया तो अपना सारा गुस्सा , सारा क्रोध उन पे निकाला जिनके स्नेह , जिनका प्रेम से वो अपने व्यक्तित्वा की उचैयों तक पहुँच पाया था .
तो क्या चंदर को अपनी भूल का एहसास हुआ ?

क्या वो कभी पता कर पाया की कहाँ उसका जीवन दर्शन उसे धोखा दे गया ?

पर ये भी तो सच है न की ज़िंदगी में बहुत सी बातें वक़्त रहते समझ नाहीं आतीं .
और जब समझ आती हैं तब तक बहुत डे हो चुकी होती है …..

चंदर हम में से अलग तो नाहीं !
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?

108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है !!!

"अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है।

यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!

May 3, 2011

To my LOve

Secrets of love



The First Secret: The power of Love. 

Love begins with our thoughts. We become what we think. Loving thoughts create loving experiences and loving relationships. Affirmations can change our beliefs and thoughts about ourselves and others. If we want to love someone, we need to consider their needs and desires. Thinking about your ideal partner will help recognize him or her when you meet. 
The Second Secret: The power of Respect.
You cannot love anyone or anything unless you first respect them. The first person you need to respect is yourself. To begin to gain self-respect ask yourself, "What do I respect about myself? " To gain respect for others, even those you may dislike, ask yourself, "What do I respect about them?" 
The Third Secret: The power of Giving. 
If you want to receive love, all you have to do is give it! The more love you give, the more you will receive. To love is to give of yourself, freely and unconditionally. Practice random acts of kindness. The secret formula of a happy, lifelong relationship is to always focus on what you can give instead of you can take. 
The Fourth Secret: The power of Friendship. 
To find true love you must first find a true friend. To love someone completely you must love them for who they are not what they look like. Friendship is the soil through which love's seeds grow. If you want to bring love into a relationship, you must first bring friendship. 

The Fifth Secret: The power of Touch. 
Touch is one of the most powerful expressions of love, breaking down barriers and bonding relationships. Touch changes our physical and emotional states and makes us more receptive to love. 
The Sixth Secret: The power of Letting go. 
If you love something, let it be free. Even in a loving relationship, people need their space. If we want to learn to love, we must first learn to forgive and let go of past hurts and grievances. Love means letting go of our fears, prejudices, egos and conditions. 

The Seventh Secret: The power of Communication. 
To love someone is to communicate with them. Let the people you love know; that you love and appreciate them. Never be afraid to say, "I love you." Never let an opportunity pass to praise and acknowledge someone. Always leave someone you love with a loving word ... it could be the last time you see them. 

The Eighth Secret: The power of Commitment. 
If you want to have love in abundance, you must be committed to it. Commitment is the true test of love. If you want to have loving relationships, you must be committed to loving relationships. When you are committed to someone or something, quitting is never an option. Commitment distinguishes a fragile relationship from a strong, loving one. 

The Ninth Secret: The power of Passion. 
Passion ignites love and keeps it alive. Lasting passion does not come through physical attraction alone. It comes from deep commitment, enthusiasm, interest and excitement. The essence of love and happiness are the same, all we need to do is to live each day with passion. 

The Tenth Secret: The power of Trust. 
You cannot love someone completely unless you trust them completely. Act as if your relationship with the person you love will never end. Trust is essential in all loving relationships. Trust yourself, trust others and trust the world. It is the foundation for LOVE. 

HAVE A LOVELY LIFE...

Stop HUMAN TRAFFICKING


Human trafficking in India

Human trafficking has been defined as the commercial trade of human beings, who are subjected to involuntary acts such as begging, prostitution or forced labour. The United States (US) has placed India on the Tier-2 Watch List for human trafficking for the 5th consecutive year as India has failed to take effective measure in combating it. According to its report, India is a source, destination, and transit country for men, women, and children trafficked for the purposes of forced labour and commercial sexual exploitation. The report also says that the numbers of persons affected could be anywhere between 20 to 65 million. According to some estimates, the estimated annual turnover of human trafficking in India is around 20 billion rupees. What is distressing is that out of the total number of persons affected by human trafficking, as many as 80 per cent are women and 50 per cent are children (all the persons below 18 years of age come in the category of children).

The causes are obvious. Despite 60 years of independence, the benefits of economic development have not trickled down to the marginalised sections of the society and millions of people still live below the poverty line. The poverty and hunger makes children and women belonging to the poor sections of the society highly vulnerable to human trafficking. In case of India, social and religious practices too have been a big cause of trafficking in India. Article 23 under Part 3 (Fundamental Rights) of the Indian constitution prohibits trafficking of human beings in the territory of India. There are also more than 20 provisions in the Indian Penal Code, 1860 which deal with various aspects of human trafficking. But despite all this, there is an inexplicable apathy in the approach of law enforcement agencies when it comes to dealing with human trafficking.

The government of India has undertaken several measures in the past to combat this menace. The Ministry of Women and Child Development was made the nodal agency by the government to deal with human trafficking in India. A nodal cell against human trafficking has been constituted in the Ministry of Home Affairs. The National Human Rights Commission has formulated an integrated plan of action to prevent and combat human trafficking with special focus on women and children. However there is still a lack of clarity in government policies with regard to human trafficking. The existing laws have not been properly defined and there are several loopholes in them due to which the perpetuators of human trafficking escape from being punished.

To combat human trafficking, several short-term and long-term measures are needed to be taken up at all levels. There is an urgent need to create awareness among the public about human trafficking. Media can play a very effective role here. Poverty alleviation measures too will help in combating it in the long run. Since India is also a transit point for human trafficking, the government should take speedy measures to secure India's borders by completing its fencing and ensuring strict vigil. There is a need to develop an institutionalised system of co-ordination between the law enforcement agencies and non governmental organisations (NGOs) who sometimes prove to be more effective than government agencies in exposing human trafficking networks. There is a need to have greater co-ordination between different states in India as trafficking has a long trail from the source point to the destination with several transit points in between. Investigation in the cases involving human trafficking should be carried out with the aim to destroy this long trail. Increased co-ordination between government departments like police, public welfare, health, women and child is required to ensure an effective response. Government and NGOs should work together to ensure post-rescue rehabilitation of the victims in terms of providing them healthcare, education and other employment opportunities.