!!! पेट की आग !!!
भूख इंसानी रिश्तों को मिटा देती है !
करके नंगा ये सरे आम नचा देती है !!!
आप इंसानी जफ़ाओं (व्यव्हार) को गिला करते है !!
अपनी रूह भी जिस्म को एक रोज़ दगा देती है !!!
कितनी मज़बूर है वो माँ जो मसक्कत करके !
दूध क्या छाती का खून भी सूखा देती है !!
आप जर्दार सही साहिब -इ -किरदार सही !
पेट की आग नक़ाबों को हटा देती है !!
भूख दौलत की हो या शौहरत की या अय्यारी की !
हद्द से बढ़ती है तो नज़रों से गिरा देती है !!
अपने बच्चों को खिलौनों से खिलने वालो !
मज़बूर छोटे हाथों में औज़ार थमा देती है !!
भूख बच्चओं के तबस्सुम पे असर करती है !
और लड़कपन के निशान को मिटा देती है !!
देख " एक रही " मसक्कत तो हीना के बदले !
हाथ छालों से क्या ज़ख्मों से सजा देती है !!
No comments:
Post a Comment